गोमूत्रिका गति!
गोमूत्रिका गति Curved motion (in the style of urination of cow). गाय के चलते समय मूत्र करना अनेक मोडों वाला होता है , उसी प्रकार तीन मोडों वाले विग्रहगति ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गोमूत्रिका गति Curved motion (in the style of urination of cow). गाय के चलते समय मूत्र करना अनेक मोडों वाला होता है , उसी प्रकार तीन मोडों वाले विग्रहगति ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मंदारगिरि (तीर्थ) : Name of a Digambar Jain pilgrimage near Bhagalpur, Bihar. Three auspicious events (Diksha, Gyan & Moksh Kalyanaks) of Lord Vasupujya occurred here. बिहार प्रदेश में भागलपुर के नजदीक स्थित एक तीर्थ क्षेत्र ” यह चम्पापुरी तीर्थ क्षेत्र के ही अंतर्गत आता हैं, यहाँ से भगवान वासु पूज्य के दीक्षा, ज्ञान…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] विजिष्णु – Vijishnu.: One of the 88 planets(71th). ज्योतिष के 88 ग्रहों में 71वां ग्रह “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मंडल: Sphere, zone, region. प्राणायाम सम्बन्धी अग्रि मंडल, आकाश मंडल, जनपद आदि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] विजयदेव- Vijayadeva.: Name of a peripatetic deity resident of Vijaydvar of Jambudvip (island) in east direction. जम्बूद्वीप के पूर्व दिशा के मुख्य द्वार (विजयद्वार) का निवासी व्यंतर देव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सदभाव – Sadbhaava. Good or virtous disposition or good feelings. अच्छा भाव, मैत्री, मेलजोल।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] विचारणा – Vichaaranaa.: Investigation,Consideration,Exploration. ईहा,ऊहा-पोह, मीमांसा,परीक्षण या सोच विचार “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूतानंद – Bhutananda. A type of Nagkumar Indras (celestial deities). नागकुमार भवनवासी देवों का एक इंद्र “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == धर्मास्तिकाय : == धर्मास्तिकायोऽरतो—ऽवर्णगन्धोऽशब्दोऽस्पर्श:। लोकावगाढ: स्पृष्ट:, पृथुलोऽसंख्यातिकप्रदेश:।। —समणसुत्त : ६३१ धर्मास्तिकाय रसरहित है, रूपरहित है, गंधरहित है और शब्दरहित है। समस्त लोकाकाश में व्याप्त है, अखण्ड है और विशाल है तथा असंख्यातप्रदेशी है। उदकम् यथा मत्स्यानां, गमनानुनुग्रहकरं भवति लोके। तथा जीवपुद्गलानां, धर्मद्रव्यं विजानीहि। —समणसुत्त : ६३२ जैसे इस…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] विक्रमप्रबंध टीका – Vikramaprabandha Tikaa.: Name of a commentary book written by Acharya Shrutsagar. आचार्य श्रुतज्ञान द्वारा रचित ग्रन्थ “समय –ई.सन 1473-1533 “