सर्वसावद्य निवृत्ति!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वसावद्य निवृत्ति – Sarvasaavadya Nivritti. Abstinence or freeness from all kinds of sinful worldly activities. समायिक; समस्त आरंभ परिग्रह से निवृत होना ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वसावद्य निवृत्ति – Sarvasaavadya Nivritti. Abstinence or freeness from all kinds of sinful worldly activities. समायिक; समस्त आरंभ परिग्रह से निवृत होना ।
धर्मलक्षण Basic characteristics of religion, Nature of a substance. सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, स्म्यग्चारित्र- ये धर्म के लक्षण हैं। वस्तु का स्वभाव भी धर्मलक्षणकहा जाता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वविपरिणामना – loZfoifj.kkeuk& Sarvaviparinaamanaa. Karmic nature which is destroyed by the destruction of all Karmas. मूल प्रकृति विपरिणामना के दो भेदों में एक भेद ; जो प्रकृति सर्वनिर्जरा के द्वारा निर्जरा को प्राप्त होती है। वह सर्वविपरिणामना कही जाती है।
धर्मप्रभावना Propagation of religion. धर्म की प्रभावना करना , समुचित रीति से अज्ञानरूपी अंधकार को हटाकर जैनधर्म की महिमा को फैलाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
छ The seventh consonant of the Devanagari syllabary. देवनागरी वर्णमाला का सप्तम व्यंजन , इसका उच्चारण स्थान तालु है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वधन – Sarvadhana. All wealth or property of one, Grand total of all results. किसी की संपूर्ण सम्पत्ति, गणित विषयक रूप से सम्पूर्ण समयों में पाये जाने वाले समस्त परिणामों के समूह को सर्वधन कहते है, इसी का दूसरा नाम पदधन भी है। यह ’मुहभूमीजोगदले । पदगुणिदे पदघणं होदि’ – इस करणसूत्र के अनुसार…
धर्मकथा Religious story. धर्म में दृढ़ करने वाली कथा ; आक्षोपिणी, विक्षोपिणी, संवेदिनी, निर्वेदिनी के भेद से 4 प्रकार की है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चैत्यचैत्यालय A Jain temple, where idols of Jaina Lord are consecrated for worshipping. जिन प्रतिमा व उसका स्थान अर्थात् मन दिर ‘चैत्य’ व ‘चैत्यालय’ कहलाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वज्ञत्व – Sarvagyatva. State of omniscience. त्रिकालवर्ती गुण पर्यायों से संयुक्त समस्त लोक और अलोक को प्रत्यक्ष जानना।