द्वींद्रिय जाति नामकर्म!
द्वींद्रिय जाति नामकर्म A Karmic nature causing birth in the form of two sensed beings. वह कर्म प्रकृति जिसमें द्वींद्रिय जाति प्राप्त हो जैसे- शंख, सीप इत्यादि।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्वींद्रिय जाति नामकर्म A Karmic nature causing birth in the form of two sensed beings. वह कर्म प्रकृति जिसमें द्वींद्रिय जाति प्राप्त हो जैसे- शंख, सीप इत्यादि।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हस्त प्रहेलित – Hasta Prahelita. A unit of time. काल का प्रमाण विशेष- 48 लाख शीर्षप्रकंपित प्रमित काल।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हरिवर्मा – Harivarmaa. Past-birth name of Lord Munisuvratnath. मुनिसुव्रतनाथ भगवान के पूर्व के दूसरे भव का जीव, भरत क्षेत्र के अंगदेषस्थ चम्पापुर का राजा। दर्षन विषुद्वि आदि भावनाओ का चिंतवन कर तीर्थकर प्रकृति का बंध किंया।
दानकथा A book written by poet Bharamal ji. कवि भारामल (ई.1756) द्वारा रचित एक ग्रंथ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हरिचन्द्र कवि – Haricandra kavi. Nama of a great Jaina poet, the writer of ‘Jivandhar Champu’ etc. name of another Apabhransh poet the writer of ‘Anatthamiyakaha’. आर्द्रदेव श्रेष्ठी के पुत्र, आचारश्षास्त्र के वेत्ता जैन कवि, कृति धर्मशर्माभ्युदय, जीवंधर चम्पू (समय ई.श. 10 का मध्य)। अणत्थमियकहा के रचयिता एक अपभं्रष कवि (समय वि.श. 15 का…
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हनुमान – Hanumaana. Name of the 18th kamdev, the son of Pavananjaya & Arjana, name of residential deity of Vajrakut (summit) of Manushottar mountain. 18 वे कामदेव। पवनंजय एवं अंजना के पुत्र। विमान मे से पर्वत की षिला पर गिरने पर षिला चूर-चूर हो गई इसलिये उनका नाम श्रीश्षैल भी था। उल्कापात देख विरक्त…
दर्शन पाहुड A book written by Acharya Kund-Kund. आचार्य कुंदकुंद (ई.127-179) कृत सम्यग्दर्शन के साथ अष्टमूलगुण का पालन करना और सप्त व्यसन का त्याग करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्वेषण मंत्र – Vidvesana Mantra. Mystical verses for the use of causing mutual contradiction. वशीकरण, मारण, उच्चाटन आदि मन्त्रों में से परस्पर में विद्वेष कराने वाला एक मंत्र “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वोपकार – Svopakaara. Benevolence for self. उपकार के दो भेदो मे एक भेद। अध्यात्म मार्ग मे स्वोपकार अर्थात् अपनी आत्मा का उपकार ही इष्टा है परोपकार नही।