यजुर्वेद!
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यजुर्वेद–Yajurved. One of the four great and sacred vedic scriptures. वैदिक परम्परा के4 वेदों में एक वेद का नाम”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यजुर्वेद–Yajurved. One of the four great and sacred vedic scriptures. वैदिक परम्परा के4 वेदों में एक वेद का नाम”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यभिचार – Vyabhicara. Immoral character, adultery, Transgression, Violation. कुशील पाप से संबंधित चरित्रहीनता, अतिक्रमण, असंगति ,
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वसमय वक्तव्यता – Svasamaya Vaktavyataa. Pertaining to spiritual meanings. वक्तव्यता के तीन भेदो मे एक भेद। जिस शास्त्र मे स्वसमय का ही वर्णन किया जाता है उसे स्वसमय वक्तव्य कहते है और उसके भाव को अर्थात् उसमे रहने वाली विषेषता को स्वसमय वक्तव्यता कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शैवदर्शन – Shaivadarshana. Another name of Shuddhadvait, a doctrine of monism. शुद्धाद्वैत का अपरनाम “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर्णभद्र – Svarnabhadra. Name of the tonk (salvation point) of lord Parshvanath at Sammedshikhar mountain. Name of a summit of Vijayardh mountain and its protecting deity. सम्मेदषिखर मे पर्वत पर भगवान पाष्र्वनाथ की टोंक का नाम, विजयार्ध पर्वत का एक कूट व उसका रक्षक देव।
दानवीर Extremely charitable, A title, Philanthrophist. महान दानी व्यक्तियों की एक उपाधि, भामाशाह को यह उपाधि प्राप्त थी। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == कुपुत्र : == सयलजणनयणकडुयं नित्यामं तह पयायपरब्भट्ठं। नियतणयं धूमं पेच्छिऊण छारं गओ अग्गी।। —गाहारयणकोष : ८१० समस्त लोगों की आँखों को कडुवा लगने वाला, पुरुषार्थ रहित, प्रताप से भ्रष्ट अपने पुत्र धुएं को देखकर आग (लज्जा से) स्वयं जलकर राख बन गई है। (बड़े व्यक्ति भी अपने कुपुत्रों से…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सन्यास आश्रम – Sanyaasa Aashrama. The fourth stage of life, period of asceticism. धर्म क्रियाओं के भेद से ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ व सन्यास इन 4 आश्रमों में एक आश्रम “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वरुपलय – Svaruupalaya. Engrossment into self. कल्पना जाल को दूर करके चैतन्य आनंदमय स्वरुप मे तल्लीनता।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नंदिषेण – Namdisena Name of the Acharya, 6th Balbhadra, Past-birth name of Lord Chandraprabhu & Lord Suparshvanath, the 3rd predestined Narayan. पुत्राट संघी एक आचार्य जितदण्ड के शिष्य और दीपसेन के गुरु, छठें बलभद्र का नाम, चंद्रप्रभु एवं सुपार्शव भगवान के पूर्व भव का नाम, भारतक्षेत्र के आगामी तीसरे नारायण ”