चतुराश्रम!
चतुराश्रम The four stages of life. ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , वांप्रष्ठ व सन्यास आश्रम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चतुराश्रम The four stages of life. ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , वांप्रष्ठ व सन्यास आश्रम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
छात्रचूड़ामणि A story on Jeevandhar Swami written by Vadibh-singh Odayadev. वादीभसिंह ओडयदेव (ई. ७७०-८९०) कृत जीवन्धर स्वामी का चरित्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्षन इन्द्रिय – Sparssana Indriya. The sense organ of touch.जिसके द्वारा स्पर्श किया जाता है उसे स्पर्शन इन्द्रिय कहते है।
उनचास Forty-nine. एक संख्या सहनानी रज्जूप्रतर रज्ज2(7)2=49। एक बार सम्मेदशिखर की वंदना करने वाला भव्य जीव अधिकतम 49 भव में नियम से मोक्ष प्राप्त करता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिश्रानुभाव–Mishraanubhav. A type of mixed dispositions (virtuous & vicious). शुद्धोप्योग एवं शुभोपयोग मिश्रित या शुभ–अशुभोपयोग रूप मिश्रित संवेदन”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्नान – Snaana. To take bath (it is restricted for Jaina Saints as a basic restraint).शरीर की शुद्वि के लिए जल से नहाया। साधुओ का अस्नान नामक मूलगुण होता है।
दर्पण Mirror; an auspicious device which is to be kept near Lord idol. शीशा, एक मंगल, अकृत्रिम प्रतिमाओं के समीप सिथत 108 मंगल द्रव्यों में एक मंगल द्रव्य।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मचर्य आश्रम – Brahmacarya Asrama. Life span of celibacy. चार आश्रमों में एक आश्रम; बाल्यावस्था से युवा होने तक ब्रह्मचर्य पालते हुए विधा का अभ्यास करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थूल – Sthuula. State of grossness.मोटा, बड़ा स्कंध के 6 भेदो मे प्रथम भेद जो छेदन भेदन करने पर स्वंय जुड़ जाते है ऐसे धी, तेल, पानी आदि स्थूल स्कंध कहलाते है।
त्यागधर्म Doctrine of renunciation. 10 धर्मों में एक धर्म, संचेतन और अचेतन समस्त परिग्रह की निवृत्ति एंव संसार – शरीर – भोगों से उदासीनता । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]