शुभ योग!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ योग – Shubha Yoga. Auspicious & meritorious attitudes. मन वचन काय की शुभ या पुण्यरूप प्रवृत्ति ” अथवा योगों की विषयविरक्ति कषायनिग्रहरूप प्रवृत्ति “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ योग – Shubha Yoga. Auspicious & meritorious attitudes. मन वचन काय की शुभ या पुण्यरूप प्रवृत्ति ” अथवा योगों की विषयविरक्ति कषायनिग्रहरूप प्रवृत्ति “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सम्यक् ज्ञान : == यथा यथा श्रुतमवगाहते, अतिशयरसप्रसरसंयुतमपूर्वम्। तथा तथा प्रह्लादते मुनि:, नवनवसंवेगश्रद्धाक:।। —समणसुत्त : २४७ जैसे—जैसे मुनि अतिशय रस के अतिरेक से युक्त अपूर्वश्रुत का अवगाहन करता है, वैसे—वैसे नित—नूतन वैराग्ययुक्त श्रद्धा से आह्लादित होता है। सूची यथा ससूत्रा, न नश्यति कचवरे पतिताऽपि। जीवोऽपि तथा ससूत्रो, न…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ काययोग – Shubha Kaayayoga. Bodily virtuous activities. पूजा भक्ति, व्रतादि रूप काय की चेष्टा “
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष]] == धर्मचरण : == जरा यावत् न पीडयति, व्याधि: यावत् न वद्र्धते। यावदिन्द्रियाणि न हीयन्ते, तावत् धर्मं समाचरेत्।। —समणसुत्त : २९५ जब तक बुढ़ापा नहीं सताता, जब तक व्याधियां (रोगादि) नहीं बढ़ती और इन्द्रियाँ अशक्त अक्षम) नहीं हो जातीं, तब तक (यथाशक्ति) धर्माचरण कर लेना चाहिए क्योंकि बाद में अशक्त एवं असमर्थ…
घोषसेन Initiation spiritual teacher of the 7th Narayan (reg. past birth). ७वें नारायण के पूर्व भाव दीक्षा गुरु का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चतुर्थभुक्त A type of abandonment of food (fasting). दो उपवास; चार भोजन बेला का त्याग करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मध्यलोकजिनालयव्रत – Madhyalokajinalayavrata. A type of Vow (fasting) to be observed for different 458 days related to the 458 natural temples of madhya lok (middle universe). इसमें मध्य लोक के 458 अकृत्रिम जिन मंदिरों के 458 व्रत करना होता हैं ” इनके मंत्र , पूजा एवं विधिको “व्रतविधिएवंपूजा” भाग 2 पुस्तक से लेना…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नंदिभद्र – Namdibhadra A great saint whose another name is ‘Nandivardhana’. एक चरण ॠदधिधारी मुनि, इनका अपरनाम नंदिवर्धन है ”
दिक्शुद्धि Directional purity, an activity of Jaina saints for Svadhyay. धवला आदि सिद्धान्त ग्रंथों के सवाध्याय हेतु की जाने वाली एक विशेष क्रिया पिछली रात्रि में वैरात्रिक स्वाध्याय के पश्चात् चारों दिशाओं में 27-27 श्वासोच्छ्वासपूर्वक 9-9 बार णमोकार मंत्र पढकर पौर्वाणिहक (प्रातःकालीन ) स्वाध्याय के पश्चात् अपरान्हिक स्वाध्याय हेतु 21-21 उच्छ्वासों में 7-7 बार चारों…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मध्यम नक्षत्र – Madhyam Naksatra. Particular group of lunars. 30 मुहूर्त के नक्षत्रों को मध्यम नक्षत्र कहते हैं “