रूज!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूज – रोग। Ruja-dieses, Illness
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्ग्रन्थलिंड़् – Nirgranthalinga. Possessionless &passionless sign, state of Digambar saint. दिगम्बर मुनि; जिनमुद्रा अर्थात् अर्हन्त मुद्रा, नीष्परिग्रह लिंग (चिन्ह) “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भरतेशवैभव – Bharatesavaibhava. Name of a book written by a poet Ratnakar. कवि रत्नाकर (ई.१५५१) कृत एक ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरावरण – Niraavarana. Univeiling, Uncovered. आवरण से रहित (केवल ज्ञान), मुनियों के द्वारा बिना आवरण के शयन करना कायक्लेश तप का एक लक्षण है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नमती – बीसवी सदी की एक प्रसिद्ध आर्यिका,जो गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी की गृहस्थावस्था की मा थी।सन् 1924 मे इनका जन्म महमूदाबाद में हुआ, इन्होंने अपने विवाह में पिता से दहेज मे प्राप्त पùनंदी पंचविंषतिका ग्रथ का स्वघ्याय करके अपने जीवन को सुसंस्कृत किया। जिसके फलस्वरूप इनकी संन्तानो में भी त्याग के बीज…
देवावर्णवाद False allegations for heavenly deities. दर्शनमोहनीय कर्म के आस्रव का एक कारण स्वर्गलोक में रहने वाले देवी- देवता सुरापान करते हैं , मांस खाते हैं इस प्रकार देवगति के देवों पर मिथ्या आरोप लगाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नप्रभ – रूचक पर्वत का एक कूट Ratnaprabha- Name of a summit situated at Ruchak Mountain
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकादित्य –Lokaditya : Name of a king contemporary to Akaalvarsh. उत्तरपुराण की प्रशस्ति अनुसार अकालवर्ष के समकालीन एक राजा, आचार्य लोकसेन ने इनके समय में ही उत्तरपुराण को पूर्ण किया “समय –ई .898 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नरकगति – Niratagati. Destination of hell, hellish life course or destinity. नरकगति “