शरीर पर्याप्ति काल!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शरीर पर्याप्ति काल – Sharera Paryaaypti Kaala. Period of the formation of respiratory vitality in the body. शरीर पर्याप्ति पूर्ण होने पर जब तक श्वासोच्छवास पर्याप्ति पूर्ण न हो तब तक का काल “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शरीर पर्याप्ति काल – Sharera Paryaaypti Kaala. Period of the formation of respiratory vitality in the body. शरीर पर्याप्ति पूर्ण होने पर जब तक श्वासोच्छवास पर्याप्ति पूर्ण न हो तब तक का काल “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परविवाहकरण :An infraction of vow of celibracy.ब्रहमचर्याणुव्रत का एक अतिचार, अपने कुटुम्ब के सिवाय अन्यों का विवाह करना,कराना ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परवश अतिचार:A type of infraction, acceptance of abandoned material due to somje external fear.अतिचार का एक भेद;उन्माद, पित , पिशाच, आदि अथवा अन्य लोगों के वश होकर त्याग किये हुए पदार्थें को ग्रहण करना ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] याज्ञिक मत – संसारी जीव की कभी मुक्ति नहीे होती ऐसा मानने वाला मत। Yajnika Mata-A doctrine believing no salvation of worldly beings
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योग्यता – अपने आवरण अर्थात ज्ञान को ढकने वाले कर्म के क्षयोपक्षम को योग्यता कहते है अर्थात सामथ्र्य ज्ञान की अनुरूपता। Yogyata-talent, capability, Competency, Qualification
दर्शनविशुद्धि Purity of right faith. 16 कारण भावना में पहली भावना सम्यग्दर्शन को अत्यन्त निर्मल व दृढ़ हो जाना। इसके होने पर ही तीर्थंकर प्रकृति का बंध संभव है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रोगराहित्य – रोगरूपी बाधा का अभाव होना। अर्हत भगवान के देवकृत अतिषयों में एक अतिषय। समवषरण में सम्पूर्ण जीवों को रोग आदि की बाधाए नही होना। Rogarahitya-Devoid of disease, an excellence of lord Arihant
आभ्यन्तर प्राण Internal vitalities. भावप्राण वीर्यान्तराय, मतिज्ञानावरण इन्द्रियावरण आदि का क्षयोपशम।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजवृत्ति – राजा का कार्य, पक्षपात हो कुल की मर्यादा, बुद्धि और अपनी रक्षा करते हुए न्याय पूर्वक प्रजा का पालन करना राजाओं की राजवृत्ति कहलाती है। Rajavrtti-Ruling duties of a king