उत्पत्ति!
उत्पत्ति Origination, Birth. जीवों की उत्पत्ति अर्थात् जन्म लेना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उत्पत्ति Origination, Birth. जीवों की उत्पत्ति अर्थात् जन्म लेना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्येक पद- जो भ्ज्ञाव एक जीव के एक काल में यगपत संभव हो ऐसे भाव प्रत्येक पद कहलाते है। pratyeka pada – feelings simultaneously existing of one in a praticular time period
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रक्तोदा नदी – 14 महानदियो में चैहदवी महानदी, यह षिखरी पर्वत के पुण्डरिक द्रह से निकलकर पष्चिम की ओर ऐरावत क्षेत्र में बहती है। Raktoda nadi-Name of a great river which flows in Eravat region
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमदा- प्रमाद की बहुलवा से स्त्रियों को प्रमदा कहते हैं, समवषरण की नाट्यषाला। Pramada- Lustful women, Name of a stage of drama in Samavasharan- assembly of Lord
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रक्षाबंधन पर्व – श्रावण षु 15 के दिन आने वाला एक पर्व।इस दिन बहने अपने भाईयो को रक्षासूत्र बांधती है।जैनधर्म के अनुसार यह पर्व हस्तिनापुर से प्रारम्भ हुआ, जहा आज से 14 लाख वर्श पूर्व अंकपनाचार्य आदि 700 मुनियो पर किये गए उपसर्ग को विश्णुकुमार मुनिराज ने दूर कर उनकी रक्षा की थी। उसी…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रभावना- सम्यग्दर्षन ज्ञान चारित्र रुप रत्नत्रय के प्रभाव से आत्मा को प्रकाषमान करना। ज्ञान,ध्यान, तप, दया, दान, जिन पूजा आदि के द्वारा जिनधर्म की महिमा को प्रकाषित करना। Prabhavana – Glorification, Promotion (influencing pertaining to religion)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संस्थान नामकर्म प्रकृति – Sansthaana Naamakarma Prakrti. Physique making Karma causing figure of the body. जिस कर्म के उदय से 6 प्रकार के संस्थानों में से कोई एक रूप शरीर का आकार हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्रनाम विधान – Sahasranaama Vidhanaa. A composition of worshipping hymn composed by Ganini Aryika Shri Gyanmati Mataji. श्री जिनसेनाचार्य द्वारा रचित सहस्रनाम स्तोत्र के आधर पर गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा सन 1954 में रचे गये 1008 मंत्रों के अर्थ को छन्दों में निबद्ध करके रचित 1008 अध्र्यो वाला विधान ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त पूजा – Sachitta Poojaa. A type of worshipping of Lord Jinendra (in Samavasaran), Acharya (saints) etc. द्रव्यपूजा के 3 भेदों में एक भेद; प्रत्यक्ष उपस्थित जिनेन्द्र भगवान (समवशरण में) और गुरु आदि का यथायोग्य पूजन करना सचित्त पूजा है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहभोजन – Sahabhojana. Taking food togetherly. एक साथ भोजन करना ।