देवसुंदर!
देवसुंदर Name of a commentator of ‘Bhaktamar Stotra Tika’. भक्तामर स्त्रोत टीका के कर्ता ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
देवसुंदर Name of a commentator of ‘Bhaktamar Stotra Tika’. भक्तामर स्त्रोत टीका के कर्ता ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
उदयभावी क्षय Destruction of karmas without their fruition. बिना फल दिये आत्मा से कर्मों का संबंध छूट जान।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आप्तमीमांसा A treatise written by ‘Acharya Samantabhadra’. तत्वार्थ सूत्र के मंगलाचरण पर आचार्य समन्तभद्र (ई.श.2) द्वारा रचित एक न्यायपूर्ण ग्रंथ (तर्क की कसौटी पर सर्वज्ञ देव को सच्चे देव सिद्ध करने का न्याय संबंधी उत्तम ग्रन्थ)। इसका दूसरा नाम देवागम स्तोत्र भी है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूलसंघ–Mulasangh. An ancient group of Digambar Jain saints (associated after the salvation of Lord Mahavira). दिगम्बर जैनसाधुओका प्राचीन संघ; जिनके आचार्यो की पट्टावली में प्रथम श्री कुन्दकुन्द आचार्य का नाम लिया जाता है”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिश्र भाव–Mishra Bhav. A kind of reflection related to both destruction & subsidence of Karmas. क्षायोपशामिक भाव, जिसमे कर्मो का क्षय और उपशम दोनों होते है”
इत्वरिका अपरिगृहीतागमन An infraction of vow of celibacy. ब्रह्मचर्य अणुव्रत का एक अतिचार बिना विवाही व्यभिचारिणी स्त्री से हास्यादि संबंध रखना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
द्विचूड़ A king of Vidyadhar dynasty. विद्याधर वंश का एक राजा। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीनिचय – Shreenichaya. Name of a summit situated in Padmahrida (large pond), Name of the 3rd Rishi (saint) among a group of particular 7 Rishies (saints). पद्महृद में स्तिथ एक कूट, सप्त ऋषियों में से तीसरे ऋषि “
द्वादशवर्षी दुर्भिक्ष Twelve years dearth or famine which caused the origination of the Shvetambar Jain sect. वीर निमार्ण के 133 वर्ष पश्चात् अर्थात् आज से लगभग 2400 वर्ष पूर्व पंचम श्रुतकेवली ‘भद्रबाहु’ के काल में उज्जैन आदि उत्तरभारत के क्षेत्रों में 12 वर्षीय दुर्भिक्ष (अकाल) पड़ा, जिसकी आचार्य भद्रबाहु द्वारा भविष्यवाणी सुनकर सभी दिगम्बर मुनि…