भाव संयोगपद!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव संयोगपद – Bhava Samyogapada. Compound words showing passions. पद का एक भेद; क्रोधी, मानी, मायावी और लोभी इत्यादि नाम जो भावों के निमित्त से व्यवहार में आते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव संयोगपद – Bhava Samyogapada. Compound words showing passions. पद का एक भेद; क्रोधी, मानी, मायावी और लोभी इत्यादि नाम जो भावों के निमित्त से व्यवहार में आते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंतर लोक –Vyaintara Loka. The world of peripatetic deities. चित्रा और व्रजा पृथिवी की मध्यसंधि से लगाकर मेरु पर्वत की ऊंचाई तक तथा तिर्यकृ लोक के विस्तार प्रभाव लम्बे – चौड़े क्षेत्र को व्यंतर लोक कहते है जहाँ व्यंतरदेवो के भवन, भवनपुर और आवास होते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचशरीर – Panchashareera. Five specified kinds of bodies having peculiar attributes. ओदारिक, वैक्रियिक, आहारक, तैजस, कार्मण शरीर “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूल–Mula. Name of a lunar, Original, Real, Basic. एक नक्षत्र, मुख्य, जड़, वास्तविक.
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यंत्रपीडन जीविका– Yantrapirana Jivika . Livelihood by milling or crushing oil seeds. तेल निकालने के लिए कोल्हू चलाना या सरसों तिल आदि को कोल्हू में पिलवाना, तिल वगैरह देकर बदले में तेल लेना आदि इस तरह की आजीविका”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचमस्वर – Panchamaswara. Fifth note of vocal sound (like as cuckoo sound). संगीत का एक स्वर; मुख देश में स्थित स्वर (कोयल पंचम स्वर से कूजती है) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्यदत्त – Satyadatta. One of the 32 principles of modesty or courtesy, Name of the main listener in the assembely of Lord Dharmnath. एक विनयवादी, विनयवादियों के 32 भेदों में एक भेद, तीर्थंकर धर्मनाथ का मुख्य श्रोता या प्रश्नकर्ता “
उर्वक Infinite time increase . अनंत भाग वृद्धि की उर्वक अर्थात् उ संज्ञा।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसुपूज्य – Vasupoojya. Father’s name of Lord Vasupujya. तीर्थंकर वासुपूज्य के पिता “चम्पानागरी के राजा ,जयावती इनकी रानी थी “
उभयमोहिनी Bilateral delusive passion . अनंतानुबंधी कषाय जो दर्शन और चारित्र दोनों में मोह उत्पन्न करने वाली होती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]