पुद्गल स्वभाव!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल स्वभाव – Pudgala Svabhava. Pure (particle) forms of the matter. पुद्गल द्रव्य का शुध्द (परमाणु) रूप होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल स्वभाव – Pudgala Svabhava. Pure (particle) forms of the matter. पुद्गल द्रव्य का शुध्द (परमाणु) रूप होना “
दुर्भग नामकर्म प्रकृति A Karmic nature pertaining to unfortune (reg. awkward body). दुर्भाग्य से संबधित एक कर्म प्रकृति, जिसके उदय से बेडौल , कुरूप शरीर प्रापत होता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य प्रमेय – Bahya Prameya. External materials (non- spiritual). बाह्य पदार्थ , जो प्रमाण से जाने जाये “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गलक्षेप – Pudgalaksepa. An infraction of Deshvrat- to throw stone etc. intentionally out of the restricted area of one to solve own purpose. देशव्रत का एक अतिचार; प्रणाम किये हुए स्थान से बाहर कंकड़ आदि फेंककर अपना प्रयोजन सिध्द करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य तप: कर्म – Bahya Tapah Karma. A type of penance or austerity (external). तप: कर्म का एक उपभेद “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेघचारण ऋद्धि–Meghacharan Riddhi. A type of super natural power (moving on clouds). चारण ऋद्धि का एक भेद; जिसके प्रभावसे मुनि अप्कायिक जीवो को पीड़ा न पहुचाकर मेघो पर से गमन करते है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यकर्म – Punyakarma. Auspicious consequences of Karmas. वह कर्म जिससे इष्ट पदार्थों की प्राप्ति होती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मचर्य तप ऋध्दि – Brahmacarya Tapa Rddhi. A type of supernatural power (pertaining to celi- bacy). एक ऋध्दि; इस ऋध्दिधारी मुनिध्वरों के प्रभाव से ईति, भीती, युद्ध , दुर्भिक्षादि शांत हो जाते हैं”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचेन्द्रिय जाति नाम कर्म – Panchendriya Jaati Naama karma. A karmic nature causing five sensed beings. जिस नाम कर्म के उदय जीव पंचेन्द्रिय होता है “
त्रसलोक Name of a particular universe (middle universe). सुमेरू पर्वत के मूल से एक राजू लम्बे चैडे क्षेत्र में तिर्यक् त्रसलोक स्थित है, इसे मध्यलोक भी कहते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]