ध्यान का स्वरूप और परिणाम: एक अनुशीलन
ध्यान का स्वरूप और परिणाम: एक अनुशीलन ज्योतिबाबू जैन सारांश भारतीय वाङ्ग मय में ध्यान के स्वरूप, अर्थ, भेद—प्रभेदों पर विस्तृत रूप में चर्चा की गई है। श्रमण एवं वैदिक दोनों परम्परा के ग्रंथों में ध्यान के अनेक नामों से उल्लेख एवं विवेचन मिलते हैं। प्रस्तुत आलेख में पिंडस्थ, रूपस्थ, पदस्थ एवं रूपातीत सभी प्रकार…