संवेदना का दान-कन्यादान बसंत ऋतु आते ही धरा पीली दुल्हन के समान सज उठती है, अमुआ की डाल पर काली कोयलिया ‘कुहू—कुहू’ कर मधुर गान सुनाने लगती है। पपीहे की पीहू—पीहू मानव हृदय में प्रेम का संचार करती है। कहते हैं बसंत पंचमी माँ सरस्वती पूजा की परम्परा है। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार बसंतपंचमी पर…
आत्मानुशासन में आत्मस्वरूपी मीमांसा प्रशनोत्तरी आत्मन् (आत्मा) शब्द आड्. उपसर्ग पूर्वक अत् धातु से मनिन् या अत् धातु से मनिण् प्रत्यय करने पर निष्पन्न होता है, जिसके प्रमुखया आत्मा, जीव, स्व एवं परमात्मा आदि अनेक अर्थ हैं। ये सभी एकार्थक भी हैं और क्वचित् भिन्नार्थक भी। द्रव्यसंग्रह की टीका में कहा गया है कि ‘अत’…
परिवार की नैया पार लगानी है, तो बनना ही होगा पतवार, तूफानों से टकराकर भी, जीवन नैया निश्चित लगेगी पार। युगराज जैन बेटी तो वास्तव में बेटी होती है। अपने पापा मम्मी पर बेटियाँ कितना प्यार उढ़ेलती हैं। पापा का, मम्मी का कितना ख्याल रखती हैं। छोटे भाई—बहन को कितना सम्भालती है। बस उसके ख्याल…
महापुराण प्रवचन महापुराण प्रवचन श्रीमते सकलज्ञान, साम्राज्य पदमीयुषे। धर्मचक्रभृते भत्र्रे, नम: संसारभीमुषे।। महापुराण ग्रंथ दो भागों में विभक्त है-आदिपुराण और उत्तरपुराण। आचार्यों ने भगवान को भी पुराण शब्द से सम्बोधित किया है-पायादपायात्पुरुष: पुराण: (विषापहारस्तोत्र) महापुराण के प्रथम भाग आदि पुराण में भगवान ऋषभदेव अपने दशवें भवपूर्व के प्रकरण में राजा महाबल की पर्याय में धर्मध्यानपूर्वक…
भगवान महावीर का अमर संदेश भगवान महावीर का अमर संदेश जैनधर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर हुए जिन्होंने अनेक भव्य जीवों के लिए मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया। जन-जन में भगवान महावीर का अमर संदेश प्रचलित है – जिओ और जीने दो। उन्होंने प्राणी मात्र पर दया का भाव रखने का उपदेश दिया। उनके ५…
आसक्ति भौतिक वस्तुओं से नहीं परमेश्वर से हो वर्तमान समय का मनुष्य भौतिकवाद की चकाचौंध में अत्यधिक लिप्त हो गया है। इस कारण उसे मानवता के मूल्यों का विस्मरण हो गया है। भगवान को स्मरण का प्रश्न ही नहीं। आत्मा और परमात्मा की चर्चा करना ही नहीं चाहता। इन्द्रियों की तृप्ति ही उसके जीवन का…
जैन संस्कृति पर एक विहंगम दृष्टि जैन संस्कृति, भारत की ही नहीं, विश्व की एक मौलिक संस्कृति है। इस संस्कृति के बीच वर्तमान इतिहास की परिधि से बहुत परे प्राचीनतम भारत की मूल संस्कृति में हैं। सिन्धु उपत्यका की खुदाई से प्राप्त होने वाली सामग्री से इस बात पर प्रकाश पड़ता है कि आर्यों के…
भ्रूण हत्या— एक भयानक सामाजिक अपराध आज हमारे समाज में भ्रूण हत्या एक आम बात हो गई है। इस देश की लाखों मातायें अपने पेट में पल रही बालिका शिशु की अपने हाथों से भ्रूण हत्या करती है, करवाती है। गर्भपात नाम का यह संक्रामक रोग हमारे समाज की माताओं को भी लग गया है।…