पूज्य आर्यिका ज्ञानमतीकृत नियमसार-स्याद्वाद चंद्रिका टीका-एक दृष्टि!
पूज्य आर्यिका ज्ञानमतीकृत नियमसार-स्याद्वाद चंद्रिका टीका-एक दृष्टि सारांश जैन वाङ्मय के प्रकाशन के क्षेत्र में अपनी लौह लेखनी के द्वारा पूज्य १०५ गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी ने कीर्तिमान स्थापित किया है। अभीक्ष्णज्ञानोपयोगी एवं प्रतिमूर्ति रूप उनके अकथित श्रम से चतुरनुयोगी विपुल साहित्य का सृजन हुआ है। निम्न पंक्तियाँ उन पर सटीक रूप से चरितार्थ…