24. पूर्व पुष्करार्धद्वीप ऐरावतक्षेत्र भावी तीर्थंकर स्तोत्र
(चौबीसी नं. २४) पूर्व पुष्करार्धद्वीप ऐरावतक्षेत्र भावी तीर्थंकर स्तोत्र अडिल्ल छंद पूरब पुष्कर में ऐरावत जानिये। आगामी तीर्थंकर को सरधानिये।। मन वच तन कर उनको नितप्रति वंदिए। परमानंदस्वरूप सिद्धिपति होइए।।१।। दोहा अतुल रूप के तुम धनी, अतुल ऋद्धि के नाथ। मेरे सब संकट हरो, अगणित गुण मणिसार्थ।।२।। पद्धड़ी छंद जिनराज ‘यशोधर’ जगतवंद्य। तुम गुणगण…