02-उत्तम मार्दव धर्म – नाटक!
उत्तम मार्दव धर्म- एक रूपक (‘‘विद्या ददाति विनयं’’) लेखिका – आर्यिका चंदनामती माताजी मंच पर सूत्रधार प्रवेश करके कहता है— प्यारे भाईयों एवं बहनों! मार्दव धर्म मृदुता से उत्पन्न होता है । मान कषाय के साथ इस धर्म की पूर्ण शत्रुता है । ज्यों-ज्यों आपके हृदय से अहंकार नष्ट होता जाएगा त्यों-त्यों इस गुण का…