जैनदर्शन में गुणस्थान: एक अनुचिन्तन!
जैनदर्शन में गुणस्थान: एक अनुचिन्तन आत्मा की प्राथमिक अवस्था अज्ञानपूर्ण होती है। यह प्रथम अवस्था निकृष्ट है। इस अवस्था से आत्मा अपने स्वाभाविक चेतना, चारित्र आदि गुणों के विकास के परिणाम स्वरूप उत्थान को प्राप्त करता है। शनै:शनै: इन शक्तियों के अनुसार उत्क्रान्ति करता हुआ वह आत्मा विकास की पूर्णकला को प्राप्त हो जाता है।…