जैन विद्या में अनुशासन!
जैन विद्या में अनुशासन धरती पर प्रतिवर्ष वर्षा के साथ ही सृजन का नूतन—क्रम प्रारम्भ होता है। एक बार पृथ्वी की प्यास बुझते ही चारों ओर हरियाली छा जाती है। बांध बनाकर एकत्रित किया गया, और नहरों के कूल-किनारों में अनुशासित करके बहाया गया वह पानी रेगिस्तान को भी हरा—भरा कर देता है। परन्तु जब…