पुद्गल में विपाक करने वाले शरीर और अंगोपाङ्ग नामकर्म की प्रकृति का उदय होने पर मन, वचन और काय से युक्त हो रहे जीव की जो कर्म और नोकर्मों के आगमन की कारण हो रही शक्ति योग है, यह भाव योग कहा जा सकता है। इस भावयोग रूप पुरुषार्थ से आत्मा के प्रदेशों का परिस्पन्द…