Dhala 6
Dhala 6 षट्काय जीव न हनन तें, सब विधि दरब हिंसा टरी।रागादि भाव निवारर्तेे, हिंसा न भावित अवतरी।।जिनके न लेश मृषा न, जल तृण हू बिना दीयो गहैं।अठ दस सहस विधि ‘शील धरि, चिद् ब्रह्म में नित रमि रहैं।।1।। By not killing the embodied jivas of six kinds riddance from all types of objective violence...