तप का प्रभाव सुमन-सुधा जीजी! भादों का महीना आ गया है, पुराने विचार वाली महिलाओं ने व्रत-उपवास आदि कर करके अपना शरीर सुखाना शुरू कर दिया है। मैं तो उनकी खूब ही खिल्ली उड़ाती रहती हूँ। भला, व्रत-उपवास से कहीं मोक्ष मिलता है? फिर बाह्य तप तो सर्वथा निरर्थक ही है! सुधा-सुमन! ऐसा नहीं कहना,…
तो लाय क्यों लगाती ? बेवकूफी का पुरूषों का नमूना तो दिख गया जीरा वाली कथा में अब उसी गाँव की एक महिला से भी रूबरू हो जाइए। उस भद्र महिला ने सोने की चूड़ियों का बढ़िया सेट बनवाया। पहन कर पूरे गांव में फिरी पर किसी ने उसकी चूड़ियों को न तो ध्यान से…
कषायों का बोझ एक आदमी था। वह एक महात्मा के पास गया और बोला—महाराज, मैं ईश्वर के दर्शन करना चाहता हूँ , वर दीजिये। महात्मा ने कहा— कल सवेरे आना। अगले दिन वह आदमी महात्मा के पास पहुँचा तो महात्मा ने उसे पांच—पांच पत्थर दिये और कहा— इन्हें एक गठरी में बांधकर सिर पर रखो…
बालक की समझदारी किसी नगर में सोहन नामक एक व्यक्ति रहता था। वह रोज ऑफिस से घर लौटने के बाद अपने इकलौते बेटे के साथ कुछ देर खेल—कूद में वक्त बिताता । एक दिन उसके पास ऑफिस में ज्यादा काम था, लिहाजा वह कुछ काम घर लेकर भी आ गया। उसे अगले दिन तक यह…
भाग्योदया यह संसार पुन्य पाप का खेल है। कभी पुण्य का उदय आता है तो मानव को अनायास संसार के वैभव प्राप्त हो जाते हैं और जब पाप का उदय आता है तब देखते—देखते सारी सम्पदा विलीन हो जाती है, जैसे पवन के झकोरों से बादलों का समूह। वास्तव में यह संसार संयोग—वियोग सुख—दुख और…
धूंघट के पट खुलने पर…! (काव्य बत्तीस व तेतींस से सम्बन्धित कथा) ‘‘आँखों के अंधे, नाम नयन सुख।’’ कहावत चरितार्थ हो रही थी।राजकुमारी रतनशेखर की शादी को अभी कुछ ही दिन शेष थे।राजसी वृत्ति के युवक विवाह के लिए तत्पर रहते हैं, और विशेष कर मंगनी के पश्चात् तो विवाह के शुभ दिन का बैचनी…
न्यायशास्त्र कसौटी के पत्थर हैं मंजुला-त्रिशला! आर्यिका श्रीज्ञानमती माताजी ने एक बार उपदेश में कहा था कि न्यायशास्त्र कसौटी के पत्थर हैं। सो मेरी समझ में नहीं आया अत: तुम्हीं बताओ क्योंकि तुम भी तो आजकल न्यायसार का स्वाध्याय कर रही थीं। त्रिशला-हाँ सुनो! मंजुला, मैं तुमको बताती हूँ। जैसे भैय्या दुकान पर कसौटी के…
पर्दाफाश कर दिया एक महिला पंगु के साथ वार्तालाप कर रही है। महिला-प्रियतम! देखो तो सही, हम कितने भाग्यशाली हैं। इस मंगलपुर शहर में आकर रहते हुए हम लोगों को कितने दिन हो गये। घर-घर में मेरे सतीत्व की चर्चा चल रही है किन्तु अभी तक यहाँ का राजा मेरा गाना सुनना, मेरा दर्शन करना…
संन्यासी-संन्यासिनी कमला-माताजी! सभी सम्प्रदाय के साधु-ब्रह्मचारी ही होते हैं फिर उनका त्याग उत्तम फल क्यों नहीं दे सकता? माताजी-बेटी कमला! किसी-किसी सम्प्रदाय में कुछ साधु अपने साथ पत्नी को रखते हैं। ऐसे उदाहरण आज भी देखने को मिलते हैं और चतुर्थकाल में भी रखते थे जिनके उदाहरण शास्त्र में मौजूद हैं। कमला-शास्त्र में तो मैंने…