खाडा पापड़!
खाडा पापड़ सेठ बांकेलाल किसी मृत्यु भोज में जीमने गए। जिनके यहाँ मौसर था वे पापड़ परोसते हुए आए। सबको पूरा पूरा पापड़ परोस रहे थे, बाँके के भाणे में जो पापड़ आया वह खंडित था। बांके ने अपनी गरीबी को इसके साथ जोड़ा और सोचा कि इन्होंने मुझे गरीब समझ कर खांडा पापड़ परोसा…