सोलह कारण भावना स्तोत्र
सोलह कारण भावना स्तोत्र -गीताछंद- दर्शनविशुद्धी आदि सोलह, भावना भवनाशिनी। जो भावते वे पावते, अति शीघ्र ही शिवकामिनीशिवरमणी।। हम नित्य श्रद्धा भाव से, इनकी करें आराधना। मन वचन तन से भक्ति से, इनकी करें नित वन्दना।१।। चाल-मेरी भावना......... जो पचीस मल दोष विवर्जित, आठ अंग से पूर्ण रहा। भक्ती आदी आठ गुणों युत, सम्यग्दर्शन शुद्ध...