अथ बिम्बनिर्माणविधिः
अथ बिम्बनिर्माणविधिः अब बिम्बनिर्माण की विधि कहते हैं – संस्थानसुंदरमनोहररूपमूध्र्वप्रालंबितं ह्यवसनं कमलासनं च। नान्यासनेन परिकल्पितमीशविंबमर्हाविधौ प्रथितमार्यमतिप्रपन्नैः।।१५१।। वृद्धत्वबाल्यरहितांगमुपेतशांतिं श्रीवृक्षभूषिह्य्दयं नखकेशहीनं। सद्धातुचित्रदृषदां समसूत्रभागं वैराग्यभूषितगुणं तपसि प्रशक्तं।।१५२।। संस्थान अर्थात् आंगोपांग सुन्दर हों, कांति और लावण्य से सहित मनोहर कायोत्सर्ग मुद्राधारी दिगम्बर तथा पद्मासन, ये दो ही आसन दिगम्बर जैन प्रतिमाओं में बनाने योग्य हैं,अन्य कुक्कुटादि आसनों से सहित…