टैक्नॉलाजी की देन है बढ़ता मोटापा टीनएजर श्रेया वैसे तो बचपन से ही गोलू मोलू थी लेकिन इधर दो तीन बरस में तो वो इतनी मोटी हो गई है कि मां को यह चिंता सताने लगी है कि इसका ब्याह वैâसे होगा। मोटे होने का कारण स्पष्ट है उसका अपने कम्प्यूटर और प्लेस्टेशन के साथ…
दिगम्बर जैन देवपुरी अतिशय क्षेत्र (देरोल-वाघेला) —ब्र. कु. इन्दू जैन (संघस्थ) गुजरात प्रांत में खेड़ब्रह्मा तहसील से पूर्व दिशा में ६ कि.मी. की दूरी पर ‘देरोल’ ग्राम है, जो पूर्व में ‘देवनगरी’ या ‘देवपुरी’ के नाम से विख्यात रहा है। इसे अब ‘देरोल’ के नाम से जाना जाता है। यह स्थान खेड़ब्रह्मा से ८ कि.मी….
आधुनिक संदर्भ में ‘सामायिक’ की उपादेयता ‘सामायिक’ जैनधर्म की एक मौलिक अवधारणा है जिसमें संपूर्ण जैन दर्शन का सार समाहित है। यदि यह पूछा जाए कि एक शब्द में भगवान् महावीर का धर्म क्या है तो इसका उत्तर होगा— ‘सामायिक’। प्राचीन काल से ही ही ‘सामायिक’ करने की परम्परा संपूर्ण जैन समाज में चली आ…
गुलाबवाड़ी मुम्बई का अतिशयकारी पार्श्वनाथ मंदिर —श्रीमती लक्ष्मी जैन, मुम्बई (अध्यक्षा-अ.भा.दि.जैन महिला संगठन, मुम्बई इकाई) भारतवर्ष के भौतिकता में विख्यात मुम्बई महानगर के गुलाबवाड़ी मेंं स्थित श्री १००८ पार्श्वनाथ दि. जैन देरासर (मंदिर) की स्थापना वीर नि.सं. २३५०, ई.सन् १८२५ में हुई थी। यह मंदिर १७९ साल प्राचीन है और यहाँ की मूलनायक ९ नाग…
अतिथिसंविभाग या वैयावृत्य वैयावृत्य के भेदों का वर्णन करते हुए श्री समंतभद्रस्वामी कहते हैं- आहारौषधियोरप्युपकरणावासयोश्च दानेन। वैयावृत्यं यावानुपग्रहोन्योऽपि संयमिनां।। -हिन्दी अनुवाद- आहारदान औषधीदान, उपकरणदान आवासदान। वैयावृत्ती के चार भेद, से कहलाते ये चार दान।। प्रासुक भोजन औषधियों से, श्रावकजन मुनि को स्वस्थ करें। पिच्छी शास्त्रादिक दे उनको, वसती दे निज को धन्य करें।।११७।। आहारदान, औषधिदान,…