पद्म पुराण में संगीत कला संगीत कला भारतीय ललित कलाओं में संगीत, वास्तु और चित्रकला प्रमुख है। संगीत कला का सूक्ष्म विवेचन और विश्लेषण जैन आचार्यों ने अपने ग्रंथों में प्रसंग अनुसार समावेशित किया है। संगीत कला पर जिस गम्भीरतम विषय का प्रस्तुतिकरण, पद्म पुराण में उपलब्ध होता है वह अपने आप में अनूठा है।…
महाहिमवान के महापद्म सरोवर में तेरह कूट महहिमवंते दोसुं पासेसुं वेदिवणाणि रम्मािण। गिरिसमदीहत्ताणिं वासादीणं च हिमवगिरिं२।।१७२३।। …
चक्रवर्ती सनत्कुमार का संक्षिप्त परिचय जन्मभूमि- हस्तिनापुर नगर लौकिकपद- चतुर्थ चक्रवर्ती,कामदेव आयु- तीन लाख वर्ष कुमार काल- ५० हजार वर्ष मांडलिक काल- ५० हजार वर्ष दिग्विजय काल – १० हजार वर्ष चक्रीकाल- ९० हजार वर्ष वैराग्यनिमित्त- देवों द्वारा रूप की परीक्षा में गर्व हानि दीक्षा- दैगंबरी दीक्षा परीषहजय- भयंकर कुष्ठ आदि रोगों की उद्भूति, देवों…
गो, गोपाल, गोधरा— पृथ्वी सियाराम दास त्यागी इस वैज्ञानिक युग में घोर अवैज्ञानिक मतिभ्रम फैला हुआ है । तभी तो नास्तिकता, हिंसा, स्वार्थ लोलुपता आदि अवगुणों को अधिकाधिक प्रश्रय मिल रहा है। मानवता पथभ्रष्ट हो गयी है । मनुष्य का मस्तिष्क और शरीर दोनों विकृत से प्रतीत हो रहे हैं। यही कारण है कि विज्ञान…
व्यवहार रत्नत्रय उपादेय है या नहीं? णियमेण य जं कज्जं तं णियमं णाणदंसणचरित्तं। विवरीयपरिहरत्थं भणिदं खलु सारमिदि वयणं।।३।। जो करने योग्य है नियम से वो ही ‘नियम’ है। वो ज्ञान दर्शन औ चरित्ररूप धरम है।। विपरीत के परिहार हेतु ‘सार’ शब्द है। अतएव नियम से ये ‘नियमसार’ सार्थ है।।३।। अर्थ-नियम से जो करने योग्य है…