01.04. कथा और कथक के लक्षण
कथा और कथक के लक्षण कथा और कथक के लक्षण छंद बुद्धिमानों को इस कथारम्भ के पहले ही कथा, वक्ता और श्रोताओं के लक्षण अवश्य ही कहना चाहिए। मोक्ष पुरुषार्थ के उपयोगी होने से धर्म, अर्थ तथा काम का कथन करना कथा कहलाती है। जिसमें धर्म का विशेष निरूपण होता है उसे बुद्धिमान् पुरुष सत्कथा…