समयसार के पाठ -१
समयसार के पाठ (प्रस्तुत स्तम्भ में समयसार के पाठों की उन भूलों की ओर ध्यानाकर्षित किया जा रहा है, जो कि आधुनिक सम्पदकों/प्रकाशकों की असावधानी अथवा मूलपाठ न देखने की प्रवृत्ति अथा मात्र प्रकाशरुचि से ‘मक्षिकास्थाने मक्षिकानिक्षेप:’ की वृत्ति से छपने के कारण ‘समयसार’ के कतिपय प्रकाशित संस्करणों में आ गयीं है। और जिनके कारण…