श्री खन्दारजी (चन्देरी) का इक्कीस सौ वर्ष प्राचीन!
श्री खन्दारजी (चन्देरी) का इक्कीस सौ वर्ष प्राचीन शिलालेख और मांगलिक चिह्न डॉ. राजेन्द्र कुमार बंसल, अमलाई ‘रागादि विकारान जयति इति जिन:’—जसने रागद्वेषादि विकारों को जीत लिया वह जिन है। शुद्धचिदानन्द स्वरूप में नित निमग्न रहने वाले तीर्थंकर भगवंतों की पूजा—उपासना, उन जैसा बन जाने के लिये, जैन परम्परा में र्मूित पूजा के रूप में…