जैनधर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जीवन एक विशेष इतिहास को लिए हुए हैं ,वर्तमान में संसारी प्राणियों के जीवन में कालसर्प योग दोष को दूर करने हेतु यह ”कालसर्पहर श्री पार्श्वनाथ विधान”’की रचना की है |
इस विधान में सर्वप्रथम मंगलाचरणकरते हुए पार्श्वनाथ भगवान का स्तोत्र हैं जिसमें पार्श्वनाथ का पूरा जीवन परिचय समाहित हैं स्तोत्र आदि के पश्चात सभी प्रकार के दुष्ट ग्रहों को दूर करने के लिए कलिकुंड पार्श्वनाथ भगवान की पूजा है |यह कालसर्पहर श्री पार्श्वनाथ विधान सभी दोषों को दूर करने वाला हैं |
करगुवाँ अतिशय क्षेत्र —ब्र.कु. चन्द्रिका जैन (संघस्थ) मार्ग श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र करगुवाँ झाँसी शहर से ५ कि.मी. की दूरी पर झाँसी-लखनऊ राजमार्ग पर मेडिकल कालेज के ठीक सामने आधा कि.मी. दूर पहाड़ी की मनोरम तलहटी में अवस्थित है। यहाँ आठ एकड़ जमीन पर प्राचीन परकोटा बना हुआ है। क्षेत्र इसी परकोटे के अंदर…
सिद्ध क्षेत्र सिद्ध वरकूट तीर्थ का वैभव संसाराब्धेरपाररय तरणे तीर्थमिष्यते “आ. जिनसेन आदिपुराण 4/8 आचार्य जिनसेन ने आदिपुराण में कहा है कि जो इस अपार संसार समुद्र से पार करे उसे तीर्थ कहते हैं। ऐसा तीर्थ जिनेन्द्र भगवान का चरित्र ही हो सकता है। अत: जिनेंद्र भगवान का चरित्र तीर्थ है। पावनानि हि जायन्ते स्थानान्यपि…
बिजौलिया के पार्श्वनाथ —जीवन प्रकाश जैन, हस्तिनापुर मार्ग और अवस्थिति राजस्थान प्रदेश के भीलवाड़ा के निकट उपरमाल परगने के निकट श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बिजौलिया अवस्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए तीन मार्ग हैं- (१) कोटा से बूँदी होते हुए यह स्थान ८५ किमी. तथा बूंदी रोड से १० किमी. है, पक्की सड़क है।…
आर्थिक दृष्टि से शाकाहार ही श्रेष्ठ प्राय : ऐसा कहा जाता है कि अण्डों से बहुत कम खर्च में प्रोटीन व पौष्टिकता प्राप्त होती है लेकिन यह एक मिथ्या प्रचार हैं । विभिन्न पदार्थों में प्रोटीन की प्रतिशत की जो तालिका पृष्ठ 10 पर दी गई है उसके अनुसार एक ग्राम प्रोटीन की कीमत इस…
विभिन्न धर्मो द्वारा मांसाहार का निषेध विश्व के सभी धर्म शास्त्रों व महापुरुषों ने हर प्राणी मात्र में उस परम पिता परमात्मा की झलक देखने को कहा है व अहिंसा को परम धर्म माना है । अधिकांश धर्मो ने तो विस्तार पूर्वक मांसाहार के दोष बताए है और उसे आयु क्षीण करने वाला व पतन…