क्षुल्लक श्री अपारसागर जी
क्षुल्लक श्री ०१५ अपारसागर जी महाराज पूर्व का नाम : व्रती श्री महेन्द्र कुमार जी जैन पिता का नाम : स्व. श्री कोमलचंद जैन माता का नाम : …
क्षुल्लक श्री ०१५ अपारसागर जी महाराज पूर्व का नाम : व्रती श्री महेन्द्र कुमार जी जैन पिता का नाम : स्व. श्री कोमलचंद जैन माता का नाम : …
जैनधर्म और आयुर्वेद आयुर्वेद हमारे देश की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है जिसे जीवन विज्ञान के रूप में स्वीकार किया गया है। हमारे दैनिक जीवन यापन की प्रत्येक क्रिया आयुर्वेद के स्वास्थ्य सम्बन्धी सिद्धान्तों पर आधारित है। यही कारण है कि उन सिद्धान्तों से विचलित होने पर उसका तत्काल प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल रूप से…
विन्ध्यगिरि पर खड़े गोम्मटेश बाहुबली डग भरने को हैं âर्नाटक राज्य की राजधानी बैंगलूर से लगभग १८५ किलोमीटर दूर श्रवणबेलगोल नगर की विन्ध्यगिरि पहाड़ी पर भगवान् गोम्मटेश बाहुबली की र्मूित पिछले १०२५ वर्षों से कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़ी है। अपनी उतंगता, भव्यता और सौम्यता में यह अनुपम और अद्वितीय है। हिमालय के पर्वत—शिखर एवरेस्ट जैसी…
भारतीय कला जगत में भित्ति चित्रण और लघु चित्रण की भूमिका भारतवर्ष में ऐतिहासिक काल के उपलब्ध सबसे प्राचीन चित्र भित्ति-चित्रों के रूप में प्राप्त होते हैं। इस काल के प्राचीनतम चित्र जोगीमारा के गुहा मन्दिर में प्राप्त होते हैं। ये भित्ति चित्र सम्पूर्ण भारत में यत्र-तत्र बिखरे हुए हैं। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी के…
प्राकृत पूजा : एक अनुशीलन प्रत्येक व्यक्ति सुसंस्कृत संस्कारों की सरिता के प्रवाह में स्नान करना चाहता है। वह जीवन के विकास के लिए कोई न कोई हेतु बनाता है, वह परम पावन पवित्र आत्मा का चिन्तन करता है, वह अंतरंग की दृष्टि की ओर उन्मुख होकर उन भव्यात्माओं के जीवन की ओर लक्ष्य बनाता…