अयोगी केवली :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] == अयोगी केवली : == शैलेशीं संप्राप्त:, निरुद्धनि: शेषास्रवो जीव:। कर्मरज: विप्रमुक्तो, गतयोग: केवली भवति।। —समणसुत्त ५६४ जो शील के स्वामी हैं, जिनके सभी नवीन कर्मों का आस्रव अवरुद्ध हो गया है तथा जो पूर्वसंचित कर्मों से (बंध से) सर्वथा मुक्त हो चुके हैं, वे अयोगी केवली कहलाते हैं। स तस्मिन् चैव…