उत्पाद—व्यय—ध्रौव्य :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] == उत्पाद—व्यय—ध्रौव्य : == न भवो भंगविहीनो, भंगो वा नास्ति सम्भवविहीन:। उत्पादोऽपि च भंगो, न विना ध्रौव्येणार्थेन।। —समणसुत्त : ६६३ उत्पाद व्यय के बिना नहीं होता और व्यय उत्पाद के बिना नहीं होता। इसी प्रकार उत्पाद और व्यय दोनों त्रिकाल स्थायी ध्रौव्य अर्थ (आधार) के बिना नहीं होते। उत्पादस्थितिभंगा, विद्यन्ते पर्यायेषु पर्याया:।…