त्रैलोक्य स्तुति
त्रैलोक्य स्तुति दोहा जय त्रिभुवन के जिन भवन, जिनप्रतिमा जिनसूर्य।नमूँ अनंतो बार मैं, भव्यकमलिनी सूर्य।।१।। शम्भु छन्द जय अधोलोक के जिनगृह सात करोड़ बहत्तर लाख नमूँ।जय मध्यलोक के चार शतक अट्ठावन जिनगृह नित्य नमूँ।।जय व्यंतरसुर ज्योतिष सुर के जिनगेह असंख्याते प्रणमूँ।जय ऊरध के चौरासि लाख सत्यान्वे सहस तेईस नमूँ।।२।। कोटी अठ छप्पन लाख सत्यानवे सहस...