76. दिव्यध्वनि का लक्षण!
दिव्यध्वनि का लक्षण संपहि गंथकत्तारपरूवणं कस्सामो। वयणेण विणा अत्थपदुप्पायणं ण संभवइ,सुहुमत्थाणं सण्णाए परूवणाणुववत्तीदो। ण चाणक्खराए झुणीए अत्थपदुप्पायणं जुज्जदे, अणक्खरभासतिरिक्खे मोत्तूणण्णेसिं तत्तो अत्थावगमाभावादो। ण च दिव्वज्झुणी अणक्खरप्पिया चेव, अट्ठारस-सत्तसयभास-कुभासप्पियत्तादो। अब ग्रन्थकर्ता की प्ररूपणा करते हैं। शंका—वचन के बिना अर्थ का व्याख्यान सम्भव नहीं है, क्योंकि सूक्ष्म पदार्थों की संज्ञा अर्थात् संकेत द्वारा प्ररूपणा नहीं बन सकती।…