चक्रवर्ती वज्रनाभि (छठा भव)!
चक्रवर्ती वज्रनाभि (छठा भव) -प्रथम दृश्य- (सामूहिक प्रार्थना) अश्वपुर नगर के राजा वङ्कावीर्य की पट्टरानी विजया देवी अपने राजमहल में सुखपूर्वक निद्रा में मग्न हैं, उषाकाल की लालिमा पूर्व दिशा में खिलने वाली है। सखियाँ प्रभाती गा रही हैं और वीणा की मधुर ध्वनि के साथ प्रभु का मधुर गुणस्तवन करते हुए रानी विजयादेवी को…