मंगल भावना
मंगल भावना परमविदुषी, तीर्थोद्धारिका, सरस्वती की प्रतिमूर्ति, अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी, गणिनी आर्यिका १०५ श्री ज्ञानमती माताजी दीर्घकाल से जैन संस्कृति के उन्नयन में सतत संलग्न रही हैं, तदर्थ आपने विपुल साहित्य सृजन के माध्यम से हितोपदेशी सर्वज्ञ की वाणी को जन-जन के हाथों तक पहुँचाने का अथक प्रयास किया है, तीर्थंकरों की कल्याणकभूमियों एवं अन्य धर्मायतनों…