10. धर्मध्यान
धर्मध्यान श्री गौतमस्वामी ने प्रतिक्रमण पाठ में धर्मध्यान के दश भेद कहे हैं— ‘दसण्णं धम्मज्झाणाणं। दससु धम्मज्झाणेसु। दससु धम्मज्झाणेसु दसविह धम्मज्झाणाणं। मुनिचर्या पृ. २४, १३५, १७०, २३१।टीकाकार श्री प्रभाचन्द्राचार्य ने उनके नाम व लक्षण दिये हैं— अपायविचय उपायविचय विपाकविचय विरागविचय लोकविचय भवविचय जीवविचय आज्ञाविचय संस्थानविचय संसारविचय ये १० धर्मध्यान है। चारित्रसार में भी धर्मध्यान के…