श्री पंचमेरु भक्तिः (चौबोल छंद-पद्यानुवाद) पंचमेरु के श्री जिनगृह उनमें स्थित जिन प्रतिमा को। वीर प्रभु को, मंदर पर अभिषेक प्राप्त सब जिनवर को।। भक्तिभाव से नमस्कार कर पंचमेरु संस्तवन करूं। जिनगृह प्रतिमा को वंदन कर भव भव संकट शीघ्र हरूं।।१।। प्रथम सुदर्शन विजय अचल मंदर विद्युन्माली पर्वत। ये जिनवर के जन्मकल्याणक में देवों कृत...
जंबूद्वीपभक्ति (पद्यानुवाद) मेरु सुदर्शन गिरि को मस्तक नत होकर के प्रणमन कर। उस पर स्थित सोलह जिनगृह सब गृह में प्रतिमा मनहर।। उन सब जिनगृह जिनप्रतिमा को त्रय शुद्धी से वंदूं मैं। भक्तिभाव से नितप्रति प्रणमूँ शिवसुख सिद्धी हेतू मैं।।१।। विदिशाओं में गजदंताचल चार कहे हैं सुन्दरतम् । उनमें त्रिभुवनपति जिनवर के मंदिर शोभेंं अति...