नक्शा ही बदल गया
नक्शा ही बदल गया (काव्य पांच से सम्बन्धित कथा) सुभद्रावती नगरी में ही नहीं वरन् समस्त कोकण प्रदेश की गली-गली में यही चर्चा थी कि आखिर ‘देवल’ इतनी सम्पत्ति पा वैâसे गया।…कल तो फटा जीर्ण-शीर्ण कुरता पहिने हुए लकड़ी को आरे से चीर रहा था। नन्हें-नन्हे बच्चे पास खड़े रोटी के एक टुकड़े को चिल्ला…