मानव जीवन में श्रावकाचार
मानव जीवन में श्रावकाचार : वर्तमान परिप्रेक्ष्य जीवन की क्रमिकता अधिकांश दर्शनों में स्वीकार की गयी है। यदि कोई कहे कि – ‘मैं वर्तमान में जो हूँ, मात्र वही हूँ – न मेरा कोई अतीत है और न कोई भविष्य’ – इस कथन में कितनी सच्चाई है? इसे कहने या समझाने की जरूरत नहीं है।…