श्री भरतस्वामी स्तुति
श्री भरतस्वामी स्तुति दोहा निजानंद पीयूषरस, निर्झरणी निर्मग्न।नमूं नमूं नित भक्ति से, होऊँ गुण सम्पन्न।।१।। नरेन्द्र छंद चिन्मय ज्योति चिदंबर चेतन चिच्चैतन्य सुधाकर।जय जय चिन्मूरत चिंतामणि चिंतितप्रद रत्नाकर।। मरुदेवी के पौत्र आप हे यशस्वती के नंदन।हे स्वामिन्! स्वीकार करो अब मेरा शत-शत वंदन।।२।। आदिब्रह्मा ऋषभदेव से विद्या शिक्षा पाई।संस्कारों से संस्कारित हो आतम ज्योति जगाई।...