परिग्रह परिमाण अणुव्रत!
परिग्रह परिमाण अणुव्रत –तीन लोक के असीमित परिग्रह से अपनी इच्छाओं को सीमित करके जो परिग्रह की सीमा का नियम ग्रहण किया जाता है , वह परिग्रह प्रमाण अणुव्रत कहलाता है ।
परिग्रह परिमाण अणुव्रत –तीन लोक के असीमित परिग्रह से अपनी इच्छाओं को सीमित करके जो परिग्रह की सीमा का नियम ग्रहण किया जाता है , वह परिग्रह प्रमाण अणुव्रत कहलाता है ।
विरोधिनी हिंसा –धर्म अथवा धर्मात्माओं पर विपत्ति आने पर उनकी रक्षा के लिए जो विरोधियों की हिंसा मजबूरी में करनी पड़ती है , उसे विरोधिनी हिंसा कहते हैं ।
सत्याणुव्रत –अणु अर्थात् एक देशरूप से सत्य बोलने का नियम लेना सत्याणुव्रत होता है ।
उद्योगिनी हिंसा –खेती- व्यापार आदि में होने वाली हिंसा उद्योगिनी हिंसा कहलाती है ।
अहिंसाणुव्रत – चार प्रकार की हिंसाओं में जो संकल्पी हिंसा का त्याग करके अपने आचरण को शुद्ध बनाया जाता है , वह अहिंसाणुव्रत कहलाता है ।
आरंभी हिंसा –घर- गृहस्थी के कार्यों में होने वाली हिंसा आरंभी हिंसा कहलाती है ।
धर्म का लक्षण ‘‘जो संसार के दुख से प्राणियों को निकालकर उत्तम सुख में पहुँचाता है, वह धर्म है।’’ ‘‘रत्नत्रय स्वरूप धर्म के ईश्वर ऐसे श्री जिनेन्द्र भगवान सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र को धर्म कहते हैं। इनसे विपरीत मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान और मिथ्याचारित्र संसार के कारण होते हैं।’’ सम्यग्दर्शन ‘‘सच्चे देव, शास्त्र, गुरु का तीन मूढ़ता…
प्रशासक प्रशासक (अंग्रेज़ी:ब्यूरोक्रैट्स) वह पद होता है जिस पर जैन एन्च्य्क्लोपेडिया समाज द्वारा असाधारण और विशेष रूप से विश्वसनीय सदस्यों को अधिकार दिया गया होता है। ये सदस्य कुछ विशेष प्रशासकीय अधिकार प्राप्त होते हैं, जिनका प्रयोग ये अन्य सदस्यों के खातों पर कर सकते हैं।प्रशासकों निम्न विशेष अधिकार मिले होते हैं:ये सदस्यों को प्रबंधक…
इष्वाकार Name of four mountains (straight like an arrow). धातकीखंड व पुष्करार्ध द्वीपों की उत्तर-दक्षिण दिशाओं में एक एक पर्वत है इस प्रकार 4 इष्वाकार पर्वत उन द्वीपों को आधे आधे भाग में विभाजित करते है।