26. रामचन्द्र को वास्तविकता का बोध हुआ
रामचन्द्र को वास्तविकता का बोध हुआ (२६०)आवरण मोह का हटा देख, उनने निज रूप दिखाया था।परिचय जब पूछा रघुवर ने, तब सबकुछ उन्हें बताया था।।हे नाथ! जटायू पक्षी हम, और ये है सेनापति नाथ।इतने दिन से विपत्ति प्रभू पर, हमको ना हो सका ज्ञात।। (२६१)जब कर्मोदय से हे रघुवर! आया विपत्ति का अंतसमय।अनजानी शक्ती ने…