बजी कुण्डलपुर में बधाई (फरवरी २००२ में प्रस्तुत) -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती माताजी आज से २६०० वर्ष पूर्व भारत की धरती पर तीर्थंकर भगवान महावीर ने जन्म लेकर संसार को अिंहसा का ब्रह्मास्त्र देकर विश्वकल्याण के साथ-साथ अपनी आत्मा को सम्पूर्ण कर्मों से रहित करके निर्वाण धाम को प्राप्त कर लिया और अनन्त-अनन्त काल के लिए…
शोध के नाम पर खंडित होती आस्थाएँ (ऋषभदेशना पत्रिका से साभार) -मोतीलाल जैन, सागर आस्था और विश्वास पर ही सामाजिक एकता सहिष्णुता और सद्भावना का पोषण होता है और ज्ञान का शोधन एवं विकास निरंतर होता रहता है। इस धरा पर जब-जब आस्था एवं विश्वास को आघात पहुँचना शुरू हुआ तब-तब महान पुरुषों ने अवतार…
श्री १००८ पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन पंचायती स्वर्ण मंदिर, ग्वालियर -ब्र. कु. इन्दू जैन (संघस्थ) श्री १००८ पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन पंचायती बड़ा मंदिर (पुरानी सहेली) मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित है। ग्वालियर रेलवे स्टेशन व बस स्टैण्ड दोनों से इसकी दूरी ४ कि.मी. है। दिल्ली-मुम्बई, दिल्ली-चेन्नई मुख्य रेलमार्ग पर है। स्वर्ण मंदिर के निर्माण में…
जन्मभूमि कुण्डलपुर का विकास (नाटिका) (एक लघु रूपक-सन २००३ में प्रस्तुत ) प्रस्तुति-युवारत्न अकलंक जैन (प्रतिष्ठाचार्य) डालीगंज-लखनऊ -: प्रथम दृश्य :- एक बालिका द्वारा मंगलाचरण रूप भजन पर नृत्य करावें। (भजन-चलो कुण्डलपुर चलना है……….) -: द्वितीय दृश्य :- सूत्रधार- सुनो सुनो सुनो, मेरे प्यारे भाईयों, बहनों और नन्हें मुन्ने बच्चों सुनो। आज मैं आपको एक…
वैशाली की राजकुमारी एवं कुण्डलपुर की राजवधू महारानी त्रिशला का परिचय ब्र. कु.बीना जैन (संघस्थ-गणिनी ज्ञानमती माताजी) आचार्य मानतुंंग ने भक्तामर स्तोत्र में तीर्थंकर भगवान की माता की स्तुति करते हुए कहा है- स्त्रीणां शतानि शतशो जनयन्ति पुत्रान् , नान्यासुतं त्वदुपमं जननी प्रसूता। सर्वादिशो दधति भानि सहस्र रश्मिम्, प्राच्येव दिग्जनयतिस्फुर दंशुजालम् ।। अर्थात् सैकड़ों स्त्रियां…
भगवान महावीर का संक्षिप्त परिचय -गीता जैन, स्योहारा भगवान महावीर का जीव पूर्व में सोलहवें स्वर्ग के पुष्पोत्तर विमान में उत्तम इन्द्र था। वहाँ पर उसकी आयु बाईस सागर की थी, जब उसकी आयु छह महीने की रह गई और वह स्वर्ग से अवतार लेने के सन्मुख हुआ तब सौधर्म इन्द्र की आज्ञा से कुबेर…