णमोकार माहात्म्य
णमोकार माहात्म्य रचयिता— श्री डॉ. सुपार्श्वकुमार जी जैन मुजफ्फरनगर (उ.प्र.) अरिहंत वही होता है जो, चार घातिया करता क्षय। अघाति कर्म का सर्वनाश कर, सिद्ध प्रभु होते अक्षय।१। सर्व संघ को अनुशासन में, रखते हैं आचार्य प्रभु । मोक्षमार्ग का पाठ पढ़ाते , कहलाते उपाध्याय विभु।२। अट्ठाईस मूल गुणों का नित, पालन…