हाथी गुम्फा, अभिलेख में निहित सांस्कृतिक तत्त्व
धार संग्रहालय की परमार रुद्र जैन प्रतिमाएँ —अरविन्द कुमार जैन, एवं संगीता मेहता एम. प्र. राज्य का धार जिला विकासशील सामग्री से समृद्ध है। इसी कारण लार्ड कर्जन की प्रेरणा से १९९० में धार संग्रहालय की स्थापना की गई थी। यह संग्रहालय वर्तमान में जिला प्राचीन संग्रहालय के नाम से जाना जाता है। यहाँ…
जैन रीति, शिल्पकला एवं प्राचीन ग्रंथों के जैविक संरक्षण सारांश प्रस्तुत शोध लेख में वायुमण्डल में सूक्ष्म जीवों, गुफाओं, शिल्पकला, भित्ति चित्रकला एवं प्राचीन ग्रंथों के जैविक संरक्षणों का वर्णन किया गया है। जैविक सुरक्षा से हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का तीव्र गति से विनाश हुआ है एवं काफी विरासत नष्ट होने के कारण खड़ा…
ऋग्वेद मूलत: श्रमण ऋषभदेव प्रभावित कृति है! डा. स्नेहरानी जैन( सागर – म. प्र. ) विश्व के विद्वानों, इतिहासकारों एवं पुरातात्विकों के मतानुसार इस धरती पर ईसा से लगभग ५०००—३००० वर्ष पूर्व के काल में सभ्यता अत्यन्त उन्नति पर थी। मिस्र देश के पिरामिड और ममी, स्पिक्स, चीन की ममी, ग्रीक के अवशेष, बेबीलोन,…
रायसेन जिले के कतिपय जैन अवशेष —नरेश कुमार पाठक संग्रहाध्यक्ष, केन्द्रीय संग्रहालय,पन्ना ( मध्यप्रदेश ) सारांश मध्यप्रदेश के भोपाल सम्भाग में स्थित रायसेन जनपद के विभिन्न ग्रामों से प्राप्त जैन पुरावशेषों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत आलेख में प्रस्तुत किया गया है। —सम्पादक मध्यप्रदेश के हृदय भाग में अवस्थित रायसेन जिला भोपाल सम्भाग में २२० ४७’…
छतरपुर जिले की नवीन जैन कला जिनेन्द्र जैन एवं सुरेन्द्र कुमार (संविदा व्याख्याता एवं शोधछात्र, प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति तथा पुरातत्व विभाग- डाॅ० हरिसिंह ग़ौर विश्वविद्यालय,सागर- म० प्र०) सारांश बुन्देलखण्ड क्षेत्र जैन कला की दृष्टि से भारत में सबसे अधिक समृद्ध है।बुन्देलखण्ड का ही छतरपुर जिला (म.प्र) कला के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध है। जिसमें…
वर्षों से पत्थरों की मार झेलती एक जैन प्रतिमा जैन—बौद्ध, शैव—शाक्त, वैदिक—वैष्णव, भारत की धरती पर अंकुरित, पल्लवित—पुष्पित पंथ प्राणिमात्र के प्रति अजस्र करूणा प्रवाहित करने वाले पंथ हैं, पर विडम्बना यह कि स्वार्थवश एक दूसरे से श्रेष्ठ होने की प्रतिस्पर्धा बनी रही। दूसरे पंथों की तुच्छता सिद्ध करने हेतु अनेक झूठी—सच्ची कहानियाँ गठी गयीं।…
आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती एवं उनकी ग्रन्थ सम्पदा प्रो. भागचन्द्र जैन ‘भास्कर’ नागपुर (महाराष्ट्र) आचार्य नेमिचंद्र जैन सिद्धान्तग्रंथों के गंभीर अध्याय एवं विस्तृत चिन्तक थे। कर्म सिद्धान्त के मर्मज्ञ के रूप में वह अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करता है। उन्होंने धवला के आधार पर गोम्मटसार , जीवकाण्ड और कर्मकाण्ड तथा जयधवला के आधार पर लब्धिसार नामक…
भारतीय अध्यात्म का स्वर्ण कलश-कटवप्र कर्नाटक प्रदेश के प्रसिद्ध श्रवणबेलगोल तीर्थक्षेत्र की प्रसिद्धि का कारण यह है कि अधिकांश लोग चामुण्डराय द्वारा निर्मित, पहाड़ को तराश कर बाहुबली भगवान की मूर्ति ही मानते हैं। कुछ इतिहास में रुचि रखने वाले व्यक्ति विंध्यगिरि के साथ—साथ चन्द्रगिरि पर निर्मित चन्द्रगुप्त मौर्य के जिन मन्दिर को माना जाता…