पुण्यास्रव व्रत विधि!
पुण्यास्रव व्रत विधि संसार में प्रत्येक अच्छे या बुरे कार्यों को करने में सर्वप्रथम संरंभ, समारंभ और आरंभ क्रियायें होती हैं। मन, वचन और काय से प्रवृत्ति होती है जो कि कृत, कारित और अनुमोदना रूप से ही होती है। प्रत्येक के साथ क्रोध, मान, माया और लोभ ये कषायें अवश्य ही रहती हैं। इसलिये…