आरम्भत्याग प्रतिमा!
आरम्भत्याग प्रतिमा The 8th Pratima (model stage of householders) of aversion from all the occupational activities. श्रावक की आठवीं प्रतिमा जीव हिंसा के कारण नौकरी, खेती, वयापारादि के आरंभ से विरक्त होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आरम्भत्याग प्रतिमा The 8th Pratima (model stage of householders) of aversion from all the occupational activities. श्रावक की आठवीं प्रतिमा जीव हिंसा के कारण नौकरी, खेती, वयापारादि के आरंभ से विरक्त होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उपशांतकषाय Whose passions are subsided, Subsided passions. 11 वाँ गुणस्थान जहाँ सर्व मोहनीय कर्म एक अन्तर्मुहूर्त के लिये उपशम रूप या दबा रहता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर उपकार Beneficence for others.हमारे द्वारा किया गया ऐसा कार्य जिसका फल दूसरे को प्राप्त हो ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रगणना – Praganana. A disquisition door, mathematical measure study. एक अनुयोगद्वार; यह स्थिति बंध के कारणभूत स्थिति बन्धाध्यवसाय स्थानों के प्रमाण की प्ररूपणा करता है “
दयावती The mother’s name of 12th Teerthankar (Jaina–Lord) of Videh kshetra (region). विदेह क्षेत्र में स्थित 12 वें तीर्थंकर चन्द्रानन की माता । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैश्य –Vaisya The third classification of Indo – Aryan Society a trader or an agriculturist etc. ४ वर्णों में एक वर्ण; जो कृषि व्यापार तथा पशुपालन आदि के द्वारा आजीविका करते हैं वे वैश्य कहलाते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाववचन – Bhavavachan. Volitional speech. वचन; जो वीर्यान्तराय और मतिज्ञानावरण तथा श्रुतज्ञानावरण कर्मों के क्षयोपशम और अंगोपांग नामकर्म के निमित्त से होता है ” यह पौद्गलिक होता है “
आहारक शरीर A kind of Karmic molecules causing body formation. छठे गुणस्थानवर्ती प्रमत्त संयत साधु सूक्ष्म तत्व के विषय में जिज्ञासा होने पर जिस शरीर के द्वारा केवली भगवान के पास जाकर जिज्ञासा का समाधान करते हैं उसे आहारक शरीर कहते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य शास्त्र – Bahya Sastra. All the external branches of knowledge like eco- nomics, astrology etc. non – spiritual branches. ज्योतिज्ञ्रान, छन्दशास्त्र, अर्थशास्त्र, वैधक शास्त्र, लौकिक शास्त्र, मंत्रवाद आदि शास्त्रों को बाह्यशास्त्र कहते हैं