पिपीलिका!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिपीलिका – Pipilika. The ant (3 sensed beings). चींटी. इनके तीन इंद्रिय- स्पर्शन, रसना, घ्राण होती हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिपीलिका – Pipilika. The ant (3 sensed beings). चींटी. इनके तीन इंद्रिय- स्पर्शन, रसना, घ्राण होती हैं “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परंपरा मुक्ति Salvation after one or two births.एक दो आदि भवों के अनंतर मुक्ति होना ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभ्य – Vibhya. An infraction of paying reverence (reverence due to influence of Acharya etc.). वंदना का एक अतिचार, आचार्य आदि के भय से वंदना करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुक्ष्म निगोद – Sukshma Nigoda. See- Nigoda Suksma. देखे – निगोद सुक्ष्म ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यायसूर्यावली – Nyaaysooryaawali. Name of a book. एक न्यायविषयक ग्रंथ “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == मोक्ष—मार्ग : == दर्शनज्ञानचारित्राणि, मोक्षमार्ग इति सेवितव्यानि। साधुभिरिदं भणितं, तैस्तु बन्धो वा मोक्षो वा।। —समणसुत्त : १९३ जिनेन्द्र देव ने कहा है कि (सम्यक्) दर्शन, ज्ञान, चारित्र मोक्ष का मार्ग है। साधुओं को इनका आचरण करना चाहिए। यदि वे स्वाश्रित होते हैं तो इनसे मोक्ष होता है और…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुस्थित – Susthita. Name of a protecting peripatetic deity of Lavan ocean. लवण समुद्र का रक्षक व्यन्तर देव ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विश्वलोचन कोष – Visvalochana Kosa. A Sanskrit Synonym Dictionary compiled by Dhars Acharya. धरसेन आचार्य कृत संस्क्रत भाषा का नानार्थक कोष “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == नश्वरता : == जम्मं मरणेण समं, संपज्जइ जुव्वणं जरासहियं। लच्छी विणससहिया, इय सव्वं भंगुरं मुणह।। —कार्तिकेयानुप्रेक्षा : ५ जन्म के साथ मरण, यौवन के साथ बुढ़ापा, लक्ष्मी के साथ विनाश निरंतर लगा हुआ है। इस प्रकार प्रत्येक वस्तु को नश्वर समझना चाहिए
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुविशाल – Suvishaala. Name of the third heavenly aboding place of middle Graiveyak. Name of the 67th chief disciple of Lord Rishabhdev. Name of a heavenly aboding place of soudharma heaven. मध्यम ग्रैवेयक का तीसरा इन्द्रक विमान, वृक्षभदेव के 67 वें गणधर, सौधर्म स्वर्ग का एक विमान ।