प्रीति क्रिया!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रीति क्रिया- गर्भान्वय की 53 क्रियाओं में एक क्रिया; इसमें गर्भाधान के तीसरे मास में जिनेद्र देव की पूजा की जाती है। Priti Kriya- An auspicious act of religious observances ( to be done in 3rd month of pregnancy)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रीति क्रिया- गर्भान्वय की 53 क्रियाओं में एक क्रिया; इसमें गर्भाधान के तीसरे मास में जिनेद्र देव की पूजा की जाती है। Priti Kriya- An auspicious act of religious observances ( to be done in 3rd month of pregnancy)
दीक्षा Initiation, Consecration for a religious ceremony, an act of undertaking religious observances. वैराग्य की उत्तम भूमिका को प्राप्त होकर अपने सब सगे संबधियों से क्षमा मांगकर गुरू की शरण में जाकर संपूर्ण परिग्रह का त्याग कर देना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षड्विशंति – Sadvishanti. Twenty six (26 delusive Karmic nature of false believers etc.). 26, नियम से मिथ्यादृष्टि जीव मोह की 26 प्रकृतियों का स्वामी होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रियंगु- सुदिनाथ एवं पग्प्रभ भगवान के दीक्षा वृक्ष का नाम। Priyamgu-Name of the initiation tree of lord sumantinath & lord padamaprabha.
दिव्यपाद Name of 23rd predestined Tirthankar (Jaina-Lord). जम्बूद्वीप भरतक्षेत्र में स्थित 23 वें भाविकालीन तीर्थंकर का नाम (हरिवंशपुराण के आधार पर ) दूसरे ग्रंथों में इनका नाम देवपाल है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संभिन्नश्रोत ऋद्धि – Sanbhinnashrotra Riddhi. A super power of replying at once the queries of all beings present in all 10 directions. बुद्धि ऋद्धि के 18 भेदों में एक भेद; जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु श्रोत्र-इन्द्रिय के उत्कृष्ट क्षेत्र से बाहर दशों दिशाओं में संख्यात योजन प्रमाण क्षेत्र में स्थित मनुष्य और तिर्यंचों…
आलापन बंध Bondage related to basic material and articles constituted by the same. शकटों का यानों का,रथों तोरणों का कष्ठ से लोहे, चमड़े की रस्सी इत्यादि से तथा इनसे लेकर अन्य द्रव्यों से आलापित अन्य द्रव्यों का जो बंध होता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
दामनंदि Disciple of Sarvachandra and spiritual teacher of Veernandi. ई. 943-973 में सर्वचन्द्र के शिष्य और वीरनन्दि के गुरू थे। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट् अनायतन – Sat Anaayatana. Six reasons of false belief. मिथ्यात्वादि के कारणाभूत 6 स्थान; कुदेव, कुगुरू, कुशास्त्र व इन तीनों के भक्त “
दशांग भोग 10 types of enjoyments related to food, sleeping etc. 10 प्रकार के भोग-भजन, भोजन, शयया, सेना,यान, आसन, निधि, रत्न, नगर और नाट्य।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]