पंचनिद्रा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचनिद्रा – Panchanidraa. Five kinds of obscuring Karmas in gaining right perception. दर्शनावरणीय कर्म के 9 भेदों में 5 भेद; निद्रानिद्रा, प्रचला, प्रचलाप्रचला, स्त्यानगृद्धि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचनिद्रा – Panchanidraa. Five kinds of obscuring Karmas in gaining right perception. दर्शनावरणीय कर्म के 9 भेदों में 5 भेद; निद्रानिद्रा, प्रचला, प्रचलाप्रचला, स्त्यानगृद्धि “
फलरस Fruit juice, Fruitional power of Karmas. अंगूर, आम, आदि के रस । कर्मो की फल देने की शक्ति । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वस्तु – Vastu.: A typr of scriptural knowledge (Shrutgyan),Substance, Matter,Object. श्रुतज्ञान के बीस भेदों में 17वां भेद ” सत्ता,सत्व ,द्रव्य ,वस्तु आदि एकार्थवाची हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संयोगसंबंध – Sanyoga Sambandha. A synthetical relation. पृथक् सिद्ध पदार्थों के मेल को संयोग संबंध कहते हैं “
तैजस समुद्घात Electric overflow, Phosphorescent extrication. जीवों के अनुग्रह और विनाश में समर्थ तैजस शरीर की रचना के लिए तैजस समुदघात होता है। यह शुभ तैजस और अशुभ तैजस दो प्रकार का है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसंतभद्र व्रत – Vasantabhadra Vrata.: A specified and procedural fasting. एक व्रत ” इसमें क्रमशः 5,6,7,8,9 इस प्रकार 25 उपवास और बीच के स्थानों में एक – एक पारणा की जाती है “
तेररह Thirteen (13 types of faults and 13 types of conducts in Jainalogy). त्रयोदश पांच पाप, चार कषाय , जुगुप्सा , भय रति, अरति ये 13 दोष है, एंव पांच महावृत , पांच समिति और तीन गुप्ति इस प्रकार चारित्र के 13 भेद यप। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्षा ऋतु – Varshaa Ritu.: Rainy season. 6 ऋतुओं में एक ऋतु ; बरसात का समय इसमें साधु वर्षायोग या चातुर्मास धारण करते हैं “
तृणसंस्तर A type of substratum made of dry & harmless grass (related to Jain saints). 4 प्रकार के संस्तरों में एक भेद गांठ रहित तृण से बना हुआ छिद्र रहित संस्तर। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्तमान काल – Vartmaana Kaal.: Period of present time. चल रहा समय, विविक्षित पर्याय के प्रारंभ से अंत होने तक का काल ” यह दो प्रकार के है – सूक्ष्म – एक समयमात्र ,स्थूल – अंतर्मुहूर्त से लेकर संख्यात वर्ष तक “